मेरे दिल पे लगा जबसे तेरी नज़रो का तीर तबसे याद आ गया मुझको खवाजा पीर; हुसन के चकर मैं डायन पले पड़ गयी हम ही बेवकूफ थे जिसे समझ बैठे हीर; मार ही पड़ती है अगर मांग लू कुछ अब तो सपनो मैं ही रह गयी मेरी खीर; नवाबो के जैसी थी ज़िन्दगी जब कुंवारा था शादी किया हुई बीवी ने बया दिया फ़कीर; रातो को नींद नहीं दिन मैं डर लगता है जब काम न करू तो बोली कलेजा दू चीर; जो खाये पछताए जो न खाये वह भी पछताए जीत मैंने किया चख लिया आप आँखों से आते है नीर;
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