सचाई के राह पर इंसानियत मिले |
सचाई के राह पर इंसानियत मिले बे नामी मौत नहीं शहादत मिले;
बस यही अरमान रहा मेरे दिल का खुशीओ के बाग़ की विरासत मिले;
नज़रो मैं रहा इंतज़ार किसी का कभी तो किसी के आने की आहात मिले;
डरते है किसी का हाथ थामने से किसी और रिशते न बगावत मिले;
राह ऐ मंजिल पर हम जायेंगे कैसे हर तरफ मजबूरियों की रुकावट मिले;
जो हुआ मेरे साथ किसी के साथ न हो बस दुआ है यही सबको मोह्हबत मिले;
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